[दिल्ली चुनाव पर तिरछी नजर ] [1/20]

[ दिल्ली चुनाव पर तिरछी नजर ]

दिल्ली चुनाव के संदर्भ में

स्वतंत्र एवं निजी विचार। भाग-2


दिल्ली विधानसभा का चुनाव 8 फरवरी है। जिसमें अभी 10 दिन का समय बाकि है। इस चुनाव पर मेरी नजर कुछ ज्यादा ही है। क्योंकि दिल्ली भारत की राजनीती का केंद्र बिंदु और हरियाणा के बिलकुल नजदीक है। चुनाव प्रचार अपने चरम पर है और चुनाव लड़ते हुए मुख्य रूप से दो ही पार्टियां नजर आ रही है। जहाँ बीजेपी पूरी ताकत से चुनाव मैदान में है वहीं कांग्रेस चुनाव से गायब नजर आ रही है। शायद कांग्रेस को इस चुनाव से कुछ हासिल होता हुआ नजर नहीं आ रहा, परंतु यह फैसला बड़ी पार्टी होने के नाते कांग्रेस के लिए बहुत ही गलत है। कांग्रेस, यादव-भूषण टीम, जजपा और अन्य दलों ने चुनाव में आप और बीजेपी को ही साइड देना बेहतर समझा। अब इस चुनाव में इनका कोई प्रभाव पड़ता नजर नहीं आ रहा। मुख्य मुकाबला बीजेपी और आप के बीच ही नजर आ रहा है। जिसमें आप और बीजेपी ने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक रखी है। आप की तरफ से केजरीवाल, सिसोदिया, मान और बाकि सदस्य अपनी तरफ से पूरा जोर लगाये हुए हूँ। परन्तु इस चुनाव में आप की तरफ से कोई बड़ा महिला चेहरा अभी तक सामने नहीं आया। 
जबकि बीजेपी ने अपने पूरे कैडर को चुनाव में लगा दिया है। पर अभी तक मोदी जी ने कोई बड़ी चुनावी रैली नही की है। 
जहाँ आम आदमी पार्टी अपने पिछले काम पर वोट मांग रही है और आगे के लिए उसी तरह के वादे कर रही है। जिन्हें जनता कुछ हद तक पसन्द कर रही है। वहीं बीजेपी मोदी जी के नाम के साथ साथ राष्ट्र भक्ति, CAA, NRC आदि मुद्दों के साथ चुनाव मैदान में है। किंतु दिल्ली जैसे राज्य में इन मुद्दो को पसंद किया जाना मुझे मुश्किल नजर आ रहा है। 
परन्तु अभी 10 दिन का समय बाकि है। ज्यादा अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। क्योंकि दिल्ली का ज्यादातर बिज़नेस और नोकरीपेशा व्यस्त मतदाता अपना अंतिम और जिम्मेवार फैसला तो अंतिमक्षण तक ही करेगा।

किसी गलती के लिए क्षमा चाहूंगा।

धन्यवाद
जयहिंद।।       

                     हितेश कुमार शर्मा

                        स्वतंत्र विचारक


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