[मुझे तेरी ही जरूरत नही]
भले तू दूर है मुझसे और मिलने का ऐसा कोई मुहुर्त भी नही-भले ही तू दूर है मुझसे और मिलने का ऐसा कोई मुहूर्त भी नही ।
पर अब तुझसे प्यार करने - मुझे तेरी ही जरूरत नही ।
ऐसा नही है अब तेरी याद आती नही है-2
मगर वो बीते हुये लम्हो की सौगात पलके भिगाती नहीं है ।
मेरे हाथों को अक्सर तेरे साथ कि तलाश होती है ।
पर अब इस अकेलेपन में भी हर रोज तुमसे मुलाकात होती है ।
मान लिया है शायद ही साथ तेरा मेरी किस्मत में नही - पर अब तुझसे प्यार करने मुझे तेरी ही जरूरत नही ।
ये बहती हवा का झोंका-2 तेरे होने का एहसास दिलाता है मुझे इस गूँजते सन्नाटे में भी तेरा नाम ही सुनाई आता है ।
समझा लिया है खुद को बहुत मुश्किल से की शायद वो समय वापिस आने वाला नही पर सच बताऊ उन झिझक भरी मुलाकातो का मुझे अब इंतज़ार भी नही है ।
मुझे तो तेरी इन तस्वीरों में तुझे खोजने से फुर्सत नही - 2
पर अब तुझसे प्यार करने मुझे तेरी ही जरुरत नही ।
बस इतनी सी गुजारिश है- बस इतनी सी गुजारिश है कि कभी मुझे भूल ना जाना मेरा प्यार झुठलाकर किसी और का ना अपनाना - उन लम्हों को उतने ही यादगार बनाये रखना जीतने वो मेरे लिये है - उस पल को कभी मत झुठलाना जो हम साथ मे जिये है
दिल तो वही है बस दर्द की दस्तक़ नही - दिल तो वही है बस दर्द की दस्तक़ नही ।
[अब तुझसे प्यार करने वाकई मुझे तेरी जरूरत नही । ]
धन्यवाद
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Bhut acha likhte ho aap...nice
ReplyDeleteKeep it up...
Thanku so much
DeleteBeautiful creation
ReplyDeleteNice thoughts keep it up
ReplyDeleteya..thanks
DeleteNice
ReplyDeleteBhut km log hote jin m esa talent ho 😍😍👍
acha ye baat h thanku
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