मुझको हर हाल में देगा उजाला अपना,
चाँद रिश्ते में तो लगता नहीं मामा अपना…
चाँद रिश्ते में तो लगता नहीं मामा अपना…
मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आँसू
मुद्दतों से माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना…
मुद्दतों से माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना…
हम परिन्दों की तरह उड़ के तो जाने से रहे,
इस जन्म में तो न बदलेंगे ठिकाना अपना
धूप से मिल गए हैं पेड़ हमारे घर के,
हम समझते थे,कि काम आएगा बेटा अपना..
इस जन्म में तो न बदलेंगे ठिकाना अपना
धूप से मिल गए हैं पेड़ हमारे घर के,
हम समझते थे,कि काम आएगा बेटा अपना..
सच बता दूँ तो ये बाज़ार-ए- मुहब्बत गिर जाए,
मैंने जिस दाम में बेचा है ये मलबा अपना…
मैंने जिस दाम में बेचा है ये मलबा अपना…
आइनाख़ाने में रहने का ये इनाम मिला,,
एक मुद्दत से नहीं देखा है चेहरा अपना..
एक मुद्दत से नहीं देखा है चेहरा अपना..
तेज़ आँधी में बदल जाते हैं सारे मंज़र
भूल जाते हैं परिन्दे भी ठिकाना अपना..
भूल जाते हैं परिन्दे भी ठिकाना अपना..
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ReplyDeleteNice
ReplyDeletethanks
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